रेंट एग्रीमेंट कैसे बनाए - फॉर्मेट और नियम | Rent Agreement Format in Hindi

आज हम रेंट एग्रीमेंट के प्रमुख पहलुओं के बारे में बात करेंगे और यह जानेंगे कि एक रेंट एग्रीमेंट होना क्यों महत्वपूर्ण है। चाहे आप एक मकान मालिक (LandLord) हों या किराएदार (Tenant), किराए समझौते के नियमों और शर्तों को समझकर आसानी से परेशानी मुक्त होकर रहने के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए आज के लेख का मुख्य उद्देश्य आपको Rent Agreement से जुड़ी सारी जानकारी देना ही रहेगा कि रेंट एग्रीमेंट क्या होता है? House, Shop या अन्य किसी Property के लिए Rent Agreement क्यों जरुरी होता है? किराये समझौते का प्रारुप (Format) PDF? इसे कैसे बनाए?

इसके अलावा हम आपको रेंट एग्रीमेंट बनाने में मदद करने के लिए कुछ उपयोगी टिप्स और मुफ्त कानूनी सलाह प्रदान करेंगे। इस लेख के अंत तक आपको Rent Agreement और रेंटिंग प्रक्रिया क्यों जरुरी है इस बात की पूरी समझ हो जाएगी। तो बिना समय गवाएं किराया समझौता की सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।

विषयसूची

रेंट एग्रीमेंट क्या होता है - What is Rent Agreement in Hindi

रेंट एग्रीमेंट एक ऐसा कानूनी दस्तावेज (Legal Document) होता है जो मकान मालिक और किराएदार के बीच रेंट एग्रीमेंट के नियमों और शर्तों को स्थापित (Established) करता है। यह दोनों पक्षों के अधिकारों और जिम्मेदारियों (Rights & Responsibilities) के बारे में बताता है और किरायेदारी (Tenancy) के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद को हल करने के लिए एक सहायता प्रदान करता है।

इसे आसान भाषा में समझे तो Rental Agreement एक वस्तु या संपत्ति के उपयोग के लिए दो पक्षों के बीच एक समझौता होता है, जिसमें एक पक्ष अन्य पक्ष को निर्धारित समय के लिए अपनी वस्तु का उपयोग करने की अनुमति (Permission) देता है और उसके लिए वो किराया लेता है।

रेंटल एग्रीमेंट वास्तव में एक किराये (Rent) का समझौता होता है, जिसमें दोनों पक्षों के बीच समझौता होता है कि एक वस्तु के लिए एक विशिष्ट अवधि (Specific Period) तक किराया भुगतान किया जाएगा।

रेंट एग्रीमेंट में क्या लिखा होता है - Rent Agreement Format

आमतौर पर किराये के समझौते में मकान मालिक और किरायेदार के नाम, किराये की संपत्ति (Rental Property) का पता, किरायेदारी की अवधि, भुगतान की जाने वाली राशि, किराया देने का समय (Rental time), और कोई सुरक्षा जमा (Security Deposit) या अन्य आवश्यक शुल्क (Required Fee) जैसी जानकारी शामिल होती है। यह संपत्ति के उपयोग के नियमों के बारे में भी बताता है जैसे कि क्या किराये के घर में पालतू जानवरों (Pets) की अनुमति है या नहीं।

रेंट एग्रीमेंट या तो मौखिक या लिखित रुप में हो सकता है, लेकिन हमेशा लिखित एग्रीमेंट करने की सलाह (Advice) दी जाती है। एक लिखित Rent Agreement किराये के लिए दी गई अपनी किसी संपत्ति के लिए नियमों और शर्तों का दस्तावेज होता है जो द्वारा आप अपने किराएदार के साथ होने वाले, जो किसी भी विवाद के मामले में आपके लिए मददगार हो सकता है। रेंटल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर (Signature) करने से पहले इसे अच्छी तरह से पढ़ना और समझना आवश्यक है, और यदि आवश्यक हो तो एग्रीमेंट हस्ताक्षर करने से पहले कानूनी शर्तें (Legal Terms) जरुर पढ़ ले व साथ ही हमारे काबिल वकील से कानूनी सलाह लें।

रेंट एग्रीमेंट क्यों जरूरी है?

एक रेंट एग्रीमेंट इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि यह यह दो पक्षों के बीच किसी भी गलतफहमी या विवाद (Dispute) से बचने में भी मदद करता है। एक अच्छी तरह से तैयार किया गया Rent Agreement दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करता है चलिए इस बारे में विस्तार से जानते है।

कुल मिलाकर सुचारू और कानूनी किरायेदारी सुनिश्चित करने के लिए एक Rent Agreement आवश्यक है। यह मकान मालिक और किरायेदार दोनों को स्पष्टता, सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान करता है।

रेंट एग्रीमेंट कितने प्रकार के होते है - Type of Rental Agreement

भारत (India) में Rent Agreement कई प्रकार के होते हैं। कुछ विभिन्न प्रकारों के बारे में निम्नलिखित जानकारी दी गई है:

  1. रहने के लिए किराया:- इसमें रहने के लिए संपत्ति किराए पर दी जाती है। इस प्रकार के एग्रीमेंट भारत में बहुत ज्यादा संख्या में होते है।
  2. कार्यालय या व्यवसाय के लिए किराया:- इसमें व्यवसाय या कार्यालय की संपत्ति किराए पर दी जाती है। इस प्रकार के एग्रीमेंट में व्यापारियों की ज्यादा पसंद होती है।
  3. किराए पर गाड़ी: इसमें गाड़ी किराए पर दी जाती है। यह प्रकार आमतौर पर व्यक्तिगत उपयोग के लिए होता है।
  4. संपत्ति लीज़ के लिए रेंट एग्रीमेंट: इसमें किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति किराए पर देने के लिए रेंट एग्रीमेंट करना होता है। इस प्रकार के एग्रीमेंट में आमतौर पर बड़े निवेशक होते हैं।
  5. संपत्ति लीज़ के लिए सीज़नल एग्रीमेंट: इसमें किसी संपत्ति को सीज़न के लिए किराए पर देने के लिए रेंट एग्रीमेंट करना होता है।

इस प्रकार के एग्रीमेंट में, संपत्ति को एक विशेष समयावधि के लिए किराए पर दिया जाता है, जैसे कि बागवानी के लिए एक मौसम, या एक खेल का सीज़न।

एक किरायेदार के अधिकार

किराया नियंत्रण अधिनियम न केवल मकान मालिक और उनकी संपत्ति की रक्षा के लिए बल्कि किरायेदार की सुरक्षा के लिए भी स्थापित किया गया है। अधिनियम के तहत, किरायेदार को दिए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण अधिकार इस प्रकार हैं:

अनुचित बेदखली के खिलाफ अधिकार: अधिनियम के तहत, मकान मालिक बिना पर्याप्त कारण या कारण के किरायेदार को बेदखल नहीं कर सकता। बेदखली के नियम अलग-अलग राज्यों में थोड़े अलग होते हैं। कुछ राज्यों में मकान मालिक को किरायेदार को बेदखल करने के लिए, उसे अदालत का दरवाजा खटखटाना होगा और उसी के लिए अदालत का आदेश प्राप्त करना होगा। कुछ राज्यों में, किरायेदार को बेदखल नहीं किया जा सकता है यदि वह किराए में किसी भी बदलाव को स्वीकार करने को तैयार है।

उचित किराया: मकान किराए पर देते समय मकान मालिक असाधारण मात्रा में किराया नहीं ले सकता। किराए के लिए किसी संपत्ति का मूल्यांकन संपत्ति के मूल्य पर निर्भर होना चाहिए। यदि किरायेदार को लगता है कि संपत्ति के मूल्य की तुलना में जो किराए की राशि मांगी जा रही है, वह बहुत अधिक है, तो वह निवारण के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। आमतौर पर, किराया संपत्ति के मूल्य के 8% से 10% के बीच होना चाहिए, जिसमें संपत्ति पर निर्माण और जुड़नार के माध्यम से होने वाली सभी लागतें शामिल हैं।

आवश्यक सेवाएं: पानी की आपूर्ति, बिजली आदि जैसी आवश्यक सेवाओं का आनंद लेना किरायेदार का मूल अधिकार है। एक मकान मालिक को इन सेवाओं को वापस लेने का अधिकार नहीं है, भले ही किरायेदार उसी संपत्ति के संबंध में किराए का भुगतान करने में विफल रहा हो एक ही संपत्ति या एक अलग के संबंध में किराए का भुगतान करने के लिए।

एक मकान मालिक के अधिकार

रेंटल एग्रीमेंट में रुचि का बिंदु हमेशा संपत्ति होता है, और संपत्ति को अनुचित शोषण से बचाना होता है। किराया नियंत्रण अधिनियम मकान मालिक को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है:

बेदखल करने का अधिकार: एक किरायेदार को बेदखल करने का अधिकार भी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होता है। मतलब कुछ राज्यों में, मकान मालिक एक किरायेदार को व्यक्तिगत और वास्तविक कारणों से बेदखल कर सकता है जैसे कि वह खुद वहां रहना चाहता है। ऐसा कारण कर्नाटक में निष्कासन का स्वीकार्य कारण नहीं है। मकान मालिक, ज्यादातर मामलों में, किरायेदार को बेदखल करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए। कानून द्वारा यह भी आवश्यक है कि मकान मालिक अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले किरायेदार को पर्याप्त नोटिस भेजे।

चार्ज रेंट: संपत्ति का मालिक होने के नाते, मकान मालिक को किरायेदार से किराया वसूलने का अधिकार है। चूंकि किराए पर ऊपरी सीमा प्रदान करने वाला कोई वास्तविक कानून नहीं है, इसलिए मकान मालिक अपनी इच्छा के अनुसार किराया शुल्क बढ़ा सकता है। इसलिए, ऐसे मामलों में करने के लिए विवेकपूर्ण बात यह है कि वृद्धि की राशि और किराये के समझौते में ही वृद्धि की शर्त निर्धारित की जाए। आमतौर पर हर साल समय-समय पर किराए में 5% से 8% की बढ़ोतरी की जाती है।

संपत्ति का अस्थायी कब्जा: मकान मालिक संपत्ति की स्थिति में सुधार करने, संपत्ति को किसी भी तरह से बदलने या संपत्ति में बदलाव करने के लिए संपत्ति को अस्थायी रूप से वापस ले सकता है। लेकिन संपत्ति में इस तरह के बदलाव से किरायेदार को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए या उसके किरायेदारी को भौतिक रूप से प्रभावित नहीं करना चाहिए।

घर के लिए रेंट एग्रीमेंट कैसे बनाए - Rent Agreement Format

रेंट एग्रीमेंट बनाने के लिए कुछ आवश्यक तत्वों में शामिल हैं इन बातों को ध्यान में रखकर ही रेंट एग्रमेंट बनाए।

ये आवश्यक तत्व सुनिश्चित करते हैं कि किराया समझौता स्पष्ट और कानूनी रूप से बाध्यकारी (Legally binding) है, और यह कि मकान मालिक और किरायेदार दोनों अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझते हैं। आप किरायानामा बनवाने के लिए किसी वकील की सहायता भी ले सकते है या आनलाइन रेंट एग्रीमेंट (Online Rent Agreement) बनवाने के लिए भी इंटरनेट (Internet) पर किसी कानूनी फर्म (Law firm) से बात कर सकते है।

रेंट एग्रीमेंट / किरायानामा का प्रारूप

रेंट एग्रीमेंट / किरायानामा बनाने के लिए आपको प्रारूप की आवश्यकता होती है। यदि आपके पास रेंट एग्रीमेंट / किरायानामा का प्रारूप नहीं है। तो आप नीचे दिया गया प्रारूप का उपयोग कर सकते हैं –

इकरारनामा बाबत किराया / किरायानामा –

वार्षिक किराया , रूपये

स्टाम्प रूपये

स्टाम्प क्रमांक दिनांक

स्टाम्प की संख्या

किरायानामा आज दिनांक ———————————– को श्री / श्रीमती —————————————-पुत्र / पुत्री / धर्मपत्नी / विधवा——————– आय वर्ष — —————– निवासी —————-तहसील ————-

श्री / श्रीमती ——————- पुत्र / पुत्री / धर्मपत्नी / विधवा—— आयु वर्ष —— निवासी ——तहसील —– जिला —— राज्य——————(द्धितीय पक्ष / किरायेदार ) के बीच निष्पादित किया गया है/ लिखा गया है।

जो कि प्रथम पक्ष अनुसूची में दर्शाया गया है, एक मकान / प्लाट / फ्लैट / दुकान / फैक्टरी / औद्यौगिक प्लाट / जिसका प्रथम पक्ष मालिक व काबिज है। जिस पर किसी प्रकार का कोई भार नहीं है। अनुसूची में दर्शाई गई अचल संपति पर किसी प्रकार का कोई कर्जा, किसी बैंक या सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था से प्राप्त नहीं किया हुआ। संबंधित अचल संपति किसी नीलामी व कुर्की आदि में शामिल नहीं है। संबंधित अचल संपति को आज से पहले किसी प्रकार से रहन – बैय - हिब्बा व अन्य तरीके पर हस्तान्तरित नहीं किया गया है। अचल संपति को किराये पर देने की बावत किसी प्रकार की कोई रूकावट किसी विभाग या किसी न्यायालय की नहीं है। उक्त अचल संपति पर प्रथम पक्ष का कब्जा दिनांक ————— से बतौर किरायेदार राशि——————- रू0 प्रति मास पर बतौर किराये के रूप में देनी स्वीकार की है। जिसकी बावत किरायानामा दिनांक ————– को किया गया है। जिसका किरायानामा निष्पादित करना प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष उचित समझते है । इसलिए अब प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष उक्त किरायानामा दिनांक ————— तक के लिये निष्पादित करते है कि प्रथम पक्ष ने अपनी उक्त राशि —————- रू0 प्रति मास किराये पर द्धितीय पक्ष को निम्नलिखित शर्तो पर दी है : –

1. यह है कि मौके पर कब्जा द्धितीय पक्ष का दिनांक ————– से दे दिया है और यह किरायानामा दिनांक —————- तक की अवधि तक वैध रहेगा।

2. किराया की इस अवधि के दौरान द्धितीय पक्ष किराये के रूप में प्रथम पक्ष को ————— रू0 प्रति मास के हिसाब से हर मास की ————————————–. तिथि तक अग्रिम रूप में प्रथम पक्ष को नगद प्रदान कर देगा।

3. यह है कि उक्त अवधि के दौरान सरकारी लगान, पानी एवं बिजली का खर्च द्धितीय पक्ष स्वंय वहन करता रहेगा। जिसके बारे में प्रथम पक्ष कोई आपत्ति उत्पन्न नहीं करेगा।

4. यह है कि उक्त अवधि समाप्त होने पर द्धितीय पक्ष, प्रथम पक्ष को वापिस कर देगा।

5. यह है कि उक्त अवधि के दौरान भुगतान की रसीद प्रथम पक्ष्, द्धितीय पक्ष को देगा।

6. यह है कि उक्त अवधि के दौरान प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष के बीच कोई विवाद होता है तो पंच फैसला दोनों पक्षों को मान्य होगा।

7. यह है कि द्धितीय पक्ष ने —————————— रूपये (शब्दो में——————रूपये) केवल नगद प्रथम पक्ष को बतौर जमानत के रूप में अदा कर दिये हैं, जो कि बिना किसी ब्याज के प्रथम पक्ष द्धितीय पक्ष को सम्बन्धित अचल सम्पति के खाली करने के समय बकाया किराया व अन्य देनदारी आदि काट कर वापिस कर देगा।

8. यह है कि उपरोक्त म्यांद के बाद यदि किरायेदारी की म्यांद बढ़ाई जाती है तो प्रत्येक मास——– के बाद —– प्रतिशत की दर से किराये में वृद्धि होगी तथा किरायेदारी की म्यांद केवल प्रथम पक्ष की सहमति द्वारा ही बढ़ाई जा सकेगी।

9. यह है कि द्धितीय पक्ष सम्बन्धित अचल सम्पति को केवल——— कार्य के लिए इस्तेमाल करेगा।

10. यह है कि द्धितीय पक्ष सम्बन्धित अचल सम्पति पर या इसकी किसी भी निर्माण में किसी भी किस्म की कोई तोडफोड या नया निर्माण नहीं करेगा तथा किसी अन्य व्यक्ति को किराये पर नहीं देगा तथा प्रथम पक्ष को हक होगा कि वह किसी भी समय निरीक्षण के लिए आ सकता है, जिसका द्धितीय पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होगी तथा द्धितीय पक्ष कोई ऐसा कार्य नहीं करेगा जो कि कानून की नजरों में गलत होगा।

11. यह है कि सम्बन्धित अचल सम्पति में छोटी मुरम्मत जैसे कि बिजली की तारों में परेशानी, पानी की लीकेज आदि द्धितीय पक्ष स्वंय करेगा।

12. यह है कि जब भी किसी पक्ष को उपरोक्त अचल सम्पति को खाली करना या कराना हो तो वह दूसरे पक्ष को दो महिने पहले नोटिस देगा।

13. यह है कि उपरोक्त किरायानामा के दोनो पक्ष व उनके वारसान आदि हमेंशा पाबन्द रहेगे तथा इसकी शर्तो का पालन करेगें।

अतः यह किराया नामा लिख दिया है कि बतौर साक्षी प्रमाण रहे ताकि समय पर काम आये।

दिनांक——————

अनुसूचि (पहचान के लिये अचल सम्पति का विवरण)

नक्शा सीमा व पैमाईश मकान /प्लाट/फलेट/दुकान/फैक्टरी/उद्योगिक प्लाट के केस में

साक्षीगणः

हस्ताक्षर प्रथम पक्ष हस्ताक्षर द्धितीय पक्ष

किराये पर घर या दुकान लेने से पहले इन बातों का रखे ख्याल

House, Shop या अन्य कोई Property Rent पर लेने से पहले आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण विचार दिए गए हैं:-

इन बातों को ध्यान में रखते हुए, आप एक घर किराए पर लेते समय एक उचित निर्णय ले सकते हैं और एक किराये की संपत्ति ढूंढ सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

एक रेंटल एग्रीमेंट क्या है?

रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज है जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच किसी संपत्ति को किराए पर देने के लिए नियम और शर्तों को रेखांकित करता है।

लीज और रेंट एग्रीमेंट में क्या अंतर है?

एक पट्टा/लीज (lease) एक अधिक औपचारिक समझौता है जो आमतौर पर एक निर्धारित अवधि के लिए रहता है, जबकि एक किराये का समझौता (rent agreement) एक अधिक लचीली व्यवस्था है जिसे किसी भी समय किसी भी पक्ष द्वारा नवीनीकृत या समाप्त किया जा सकता है।

Rent Agreement कितने Time का होना चाहिए?

रेंट एग्रीमेंट किसी भी समय अवधि के लिए हो सकता है जिस पर मकान मालिक और किरायेदार दोनों की सहमति हो, लेकिन रेंट एग्रीमेंट एक साल (11 महीने) की अवधि के लिए होना आम बात है।

रेंट के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट कितना होना चाहिए?

सुरक्षा जमा राशि किराये की संपत्ति और स्थान के आधार पर भिन्न हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर एक या दो महीने के किराए के बराबर होती है।

क्या मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट के दौरान किराया बढ़ा सकता है?

एक मकान मालिक किराए के समझौते के दौरान किराया तभी बढ़ा सकता है जब यह किराये के समझौते में निर्दिष्ट हो या यदि किरायेदार वृद्धि के लिए सहमत हो।

क्या एक किरायेदार Rent Agreement में बदलाव कर सकता है?

एक किरायेदार किराये के समझौते में परिवर्तन का अनुरोध कर सकता है, लेकिन किसी भी बदलाव पर मकान मालिक और किरायेदार दोनों की सहमति होनी चाहिए और लिखित रूप में होना चाहिए।

क्या होता है अगर एक किरायेदार किराये के समझौते को तोड़ता है?

यदि कोई किरायेदार किराये के समझौते को तोड़ता है, तो मकान मालिक कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम हो सकता है, जैसे कि किरायेदार को बेदखल करना या नुकसान के लिए मुकदमा करना।

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